Thursday, June 19, 2014

प्रवासी पक्षी















 प्रवासी पक्षी ,रुको अभी न जाओ छोड़कर क्योंकि मैं तुमसे बात करना चाहती हूँ
जानना चाहती एक राज कि तुम बिना थके कैसे तय करते हो इतने लम्बे फासले
मैं तुम्हें दिखाना चाहती हूँ मेरे रेत से बने घर ,कलकल बहती नदी ,पुरानी पगडण्डी
जिन पर चल कर हर भूला -भटका थका-हारा राही घर पहुँचता है
तुम्हें अनेकों शुभकामनाओं के साथ बिदा कर ,चाहती हूँ तुमसे एक वचन
अगली बार तुम मुझसे मिलने जरुर आओगे तब फिर हम तुम होंगें
एक साथ इस मुक्त गगन के तले...
- साधना 

Thursday, June 5, 2014

प्यारी कोयल

























एक प्यारी काली कोयल जो है तन से काली पर वाणी से मधुर -मधुर
मचा रही आम की घनी डालियों के इर्द-गिर्द कुहू -कुहू का शोर 
अचानक चुप हो कर जागती सबके मन में विस्मय 
सबकी निगाहें ढूंढती उसे
चंहुँ और छोटे -छोटे बच्चे व्याकुल हो
मचाने लगते कुहू-कुहू का शोर 
सयानी कोयल डालियों पर फुदक -फुदक कर लेती छुपने का मजा 
फिर मौन तोड़कर सुनाती नयी अदाओं से
इठला -इठला कर अपना नया तराना,
मोह लेती सबके मन को अपनी मोहक आवाज से 
और सभी डूब जाते कुहू-कुहू के मस्त राग में 
- साधना