सूरज की परिक्रमा पूरी कर,
365 दिनों में फिर लौट आई पृथ्वी,
लेकर एक नयी उमंग,
उत्साह को साथ लेकर एक नया साल,
नयी अनुभूति, नए अनुभव,
नयी आकांक्षाओं के साथ,
वही सूरज, वही चाँद होगा,
पर जश्न ज़ोरदार होगा,
नए कैलेंडर के साथ कुछ
नयी उम्मीदों का जन्म होगा,
असहिष्णुता को छोड़
सहिष्णुता का बोलबाला होगा,
हर दिन सूरज निकले,
अमन-चैन, उम्मीदों का उजाला लेकर,
हम सब करे उसका स्वागत
नए जोश व जिंदादिली के साथ....
-- साधना
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