ये जीवन यूं ही गुजर गया,
करने की बहुत चाह थी मगर कुछ न हो सका,
वक्त का साया यूं ही गुजर गया,
कहने को तो बहुत अपने है मगर,
ये जीवन तन्हा गुज़र गया,
जीवन में बहुत रंग थे मगर,
वक़्त ने उन्हें स्याह अँधेरों में बदल दिया,
सारी तमन्नाएँ यूं ही खत्म हो गयी,
जीवन यूं ही टूट कर बिखर गया,
फिर भी आशाओं के सहारे ये जीवन चल रहा है,
कभी तो सुबह होगी ये मेरा मन कह रहा है...
- साधना
समय के साथ आपकी कविताएं बेहतर होती जा रही है। ऐसे ही आगे बढ़ते रहिए।
ReplyDeleteसुबह जरूर होगी... उम्मीद न छोड़े।
ReplyDeleteबेहतरीन कविता!!