Tuesday, January 22, 2013

नीतिकथा (कछुआ और गरुड़)

The Tortoise and the Birds - Richard Heighway
एक कछुआ यह सोचकर बहुत दुखी होता था कि वह उड़ नहीं सकता। एक दिन वह गरुड़ पक्षी के पास गया और बोला- मुझे उड़ने की बहुत इच्छा है, अगर तुम मुझे उड़ना सीखा दो तो मैं समुद्र के सारे रत्न निकाल कर तुम्हें दे दूँगा। गरुड़ ने कछुए को बहुत समझाया कि तुम इस इच्छा को त्याग दो, तुम नहीं उड़ पाओगे पर कछुआ नहीं माना।

उसने कहा नहीं उड़ सका तो गिर कर मर जाऊँगा लेकिन एक बार उड़ना चाहता हूँ। गरुड़ ने हँसकर कछुए को उठा लिया और काफी ऊँचाई पर पहुँचा दिया और कहा- अब उड़ना शुरू करो। यह कहकर कछुए को छोड़ दिया, उसके छोड़ते ही कछुआ पहाड़ी पर गिरा और उसके प्राण निकाल गए इसलिए हमें अपनी क्षमता के अनुरूप ही इच्छा रखनी चाहिए अन्यथा बहुत दुख उठाना पड़ता है। 


(संत ईसप की नीतिकथाओं से प्रस्तुत)

1 comment:

  1. अच्छी तस्वीर लगाई है... कहानी भी उतनी ही अच्छी है।
    मेरे ख़्याल से कहानी का सबक एक अलग लाइन में लिखना चाहिए।

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