दिन ढलने लगा सूर्यदेव पधारे अस्ताचल को,
शंख की ध्वनि से साँझ का आगमन हुआ,
दमक उठे घर आँगन , तुलसी चौरे पावन दीप के प्रकाश से
पवित्र घण्टियों का नाद हुआ,
उठ गए माँ के पवित्र हाथ विनती के लिए
मद्धम स्वर में प्रार्थना गूंज उठी
हे ,संझा मइया सबका भला करना
हर घर व सारे संसार में सदा सुख-शांति बनाए रखना...
- साधना
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