जब भी सुबह-सुबह उस रास्ते से गुजरती,
बहुत सारे श्रमिक शेड के आसपास नज़र आते,
श्रमिकों के झुण्ड, जो काम मिलने की आशा लिए,
जमा हो जाते गलियों, चौराहों पर,
कभी बतियाते, कभी गुमसुम से नज़र आते।
मन ही मन सोचते ये गलियाँ चौराहे सदा रौशन रहें,
ताकि उनका जीवन व रोजी-रोटी चलती रहे।
वे हर तरह के काम को करने को आतुर होते,
किन्तु ऐसे ही लोगों में कुछ लोग होते बहुत ही हुनरमंद,
क्योंकि उनकी मेहनत छैनी हथोड़ी करनी के भरोसे होती है,
गज़ब की कारीगरी और वे ही होते हैं,
अनोखी कारीगरी के शहंशाह!!
- साधना
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