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Wednesday, February 6, 2013

आलस्य से पतन होता है

Camel at Gaochang
एक ऊँट था, उसे पूर्वजन्म की सारी बातें याद थी। ऊँट होते हुए भी वह तपस्या में लगा रहता था। उसकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे वरदान मांगने को कहा। ऊँट ने कहा- भगवान यदि आप प्रसन्न है तो वर दीजिये कि मेरी गर्दन इतनी लंबी हो जाए की मैं एक स्थान पर बैठा-बैठा सौ मील दूर तक का भोजन खा सकूँ। भगवान ने कहा- 'ऐसा ही होगा।' 
अब ऊँट लंबी गर्दन कर बैठे-बैठे अपना भोजन पा लेता था। इस तरह वह आलस्य की मूर्ति बन बैठा। एक दिन ऊँट बहुत दूर देश में चर रहा था। तभी बारिश आने लगी, बारिश से बचने के लिए ऊँट अपनी गर्दन एक गुफा में डालकर चरने लगा। संयोग से उसी गुफा में भूखा सियार का जोड़ा बैठा था, उन्होने ऊँट की गर्दन को काट-काट कर खाना शुरू कर दिया। जब सौ मील दूर बैठे ऊँट को दर्द महसूस हुआ तो वह अपनी गर्दन समेटने लगा, पर ये संभव न हो सका। इस तरह सियार के काट कर खा जाने से ऊँट की मृत्यु हो गयी। 
इसीलिए हमें आलस्य नहीं करना चाहिए और हमेशा कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि आलस्य ही पतन का कारण होता हैं। 
- (महाभारत से प्रस्तुत नीतिकथा)