निश्छल हो बहता झरना,
कल-कल बहता जाता,
कठोर पर्वतों को भेद बहता,
कुछ भेद भरी बातें कहता जाता,
कुछ अनकही बातें सुनता जाता,
जब झूमकर बारिश आती,
झर-झर बहता जाता।
ऊँचें-नीचे अटपटे पथ पर,
जंगल-जंगल बहता जाता।
पशु-पक्षी धरा-अम्बर को जलमय करता जाता
मानव मन को आनन्दित करता जाता।
धीमे-धीमे मधुर-मधुर
अपनी धुन में बहता जाता।
कई छोटी-छोटी धारों के साथ
जा नदिया में समाता।
अंततः नदिया संग सागर में मिल अपनी मंजिल पाता.
कल-कल बहता जाता,
कठोर पर्वतों को भेद बहता,
कुछ भेद भरी बातें कहता जाता,
कुछ अनकही बातें सुनता जाता,
जब झूमकर बारिश आती,
झर-झर बहता जाता।
ऊँचें-नीचे अटपटे पथ पर,
जंगल-जंगल बहता जाता।
पशु-पक्षी धरा-अम्बर को जलमय करता जाता
मानव मन को आनन्दित करता जाता।
धीमे-धीमे मधुर-मधुर
अपनी धुन में बहता जाता।
कई छोटी-छोटी धारों के साथ
जा नदिया में समाता।
अंततः नदिया संग सागर में मिल अपनी मंजिल पाता.
- साधना
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