साँसों की लय पर नाचती ज़िंदगी
एक सुंदर नर्तकी सी नज़र आती
आल्हादित होने पर
झूम-झूम कर, नृत्य कर
घुँघरूओं के मधुर स्वर,
लय व ताल से जीवंत हो उठती
ज़िंदगी, जिसका एक पाँव धरती पे,
तो दूसरा आकाश पर नज़र आता,
घुँघरूओं के मधुर स्वर में,
झर-झर झरते झरनों की आवाज़ सुनाई देती,
नृत्य की भाव-भंगिमाओं में डूबी ज़िंदगी,
लहराती, बलखाती और इठलाती नज़र आती
नृत्यांगना के हर अंदाज़ में
नवजीवन से भरी नज़र आती ज़िंदगी...
- साधना
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