रावण कब मरता है,वो तो जीवन के हर पहलू में जीवित रहता है,
आज साँझ ढलने के बाद रावण फिर जलेगा,
सांसों में धुआं व आँखों में राख गिरेगी और चारों ओर धुआं ही धुआं होगा,
कागज का पुतला जला और रंगीन आतिशबाजी का सब आनंद ले,
सब एक दूसरे को मुस्कराते हुए,
बुराई पर अच्छाई की विजय की बधाई देंगे ,
अधर्म पर धर्म की विजय,
अन्याय पर न्याय की जय-जयकार की बातें होंगी ।
सहसा कहीं से किसी कुटिल मन में फिर पैदा होगा,
एक रावण जो काम क्रोध अहंकार दंभ से भरा होगा,
जो हर लेगा किसी राम की परिणीता स्त्री, किसी की दुलारी बेटी,
रावण को अगर सदा के लिए मारना है तो,
मारना होगा समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को,
और साथ ही निर्माण करना होगा ऐसे वातावरण का, कानून का,
कि दुराचारी दुष्कर्म करने से पहले,
अपनी सजा के बारे में सोच कर ही काँप जाये,
नहीं तो इसी तरह पैदा होते रहेंगे रावण,
जिन्हें मारने के लिए इस कलियुग में न जाने कब राम जन्म लेंगे
-- साधना
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