नींद नहीं आती रातों में,
मन खोया खोया सा रहता है,
सुनहरे स्वप्न आना चाहते हैं,
झील सी गहरी आँखों में,
चुपके से घर में दरवाजे के पीछे छुप जाते हैं,
कभी झरोखों से झाँकते नज़र आते हैं,
कभी घर आँगन में घूमते फिरते नज़र आते हैं,
कभी मुक्त गगन उड़ते हुये,
तो कभी नदिया के जल में लहराते उतराते हैं,
मैं चाहती हूँ शांत रातों में सोना,
एक लम्बी गहरी नींद में,
ताकि देख सकूं सुन्दर सुखद स्वप्न....
मन खोया खोया सा रहता है,
सुनहरे स्वप्न आना चाहते हैं,
झील सी गहरी आँखों में,
चुपके से घर में दरवाजे के पीछे छुप जाते हैं,
कभी झरोखों से झाँकते नज़र आते हैं,
कभी घर आँगन में घूमते फिरते नज़र आते हैं,
कभी मुक्त गगन उड़ते हुये,
तो कभी नदिया के जल में लहराते उतराते हैं,
मैं चाहती हूँ शांत रातों में सोना,
एक लम्बी गहरी नींद में,
ताकि देख सकूं सुन्दर सुखद स्वप्न....
-साधना
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