हे देवी माँ , तुम महाशक्ति हो,
इस विश्व की जननी और पालनहार भी तुम ही हो,
यह संसार एक रंगमंच है तुम उसकी रचयिता,
तुम्हारी मधुर मुस्कान में सम्पूर्ण विश्व डूब जाता है,
क्योंकि तुम सबकी आँखों पर मोह की पट्टी बाँध कर,
सबको कठपुतलियों सा कुशल नट की भाँति नचाती हो,
आत्मा परमात्मा को भूल मनुष्य इच्छाओं के समुद्र में डूब जाता है,
गर्त में डूबता जाता है और कभी सुखी नहीं हो पाता,
दुखी होकर भी सुखी होने का अभिनय करता है,
पर फिर भी जीवन का सबसे बड़ा सच तो यही है,
कि खुश हैं सिर्फ ये धरती, आकाश,
नदिया, गहरा समुन्दर और तपता सूरज,
नदिया, गहरा समुन्दर और तपता सूरज,
क्योंकि ये सब ही सत्य हैं….
- साधना
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