प्रकृति का श्रंगार
साँझ ढलने के बाद,
धीरे -धीरे नीलगगन में,
टिमटिमाने लगते रेशमी डोर से लटके हुए नटखट तारे,
उज्जवल-सा चाँद बिखेरता दूधिया सी रोशनी।
मखमली श्वेत सितारों से भरी चुनर ओढ़ कर,
स्वच्छ निर्मल चाँदनी में डूबती उतराती प्रकृति
करती नई सुबह का इंतजार।
- साधना
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