Photo taken from: Dhinakaran Gajavarathan's Flickr Photostream
जीवन मे हर पल गमों को
भूलने के लिए भटकते रहे
खुशियाँ ढूंढते रहे
पर खुशियाँ नहीं मिली
परेशान होकर तब पलकें मूंदकर
हम बैठ गए वीराने में
जब चिड़ियों के कलरव से हम जागे
खुशियाँ थी चारों तरफ
सूरज की किरणों में,
चंद्रमा की चाँदनी में,
ठंडी-ठंडी बयार में,
कोयल की कूक में,
ठंडे शीतल जल में,
मयूर के कलात्मक नृत्य में,
चारों तरफ आनंद ही आनंद था,
और हर कोई अपनी-अपनी
तकलीफ़ों को भुला कर
तरह-तरह से खुशियाँ बिखेर,
खुश हो रहा था...
- साधना
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