Saturday, March 8, 2014

जीवन के दोहरे मापदंड






















जीवन के दोहरे मापदंडों के कारण
नारी अशक्त है 
पुरुष और नारी के लिए
समाज ने अलग-अलग नियम बना
पुरुष को दिया खुला आकाश
और नारी को घुटन भरा जीवन 
पुरुष को हर अपराध माफ़
और नारी को नियम,नीति व संस्कारों का बंधन 
इसीलिए पुरुष अपनी पराकाष्ठाओं को पार कर जाता 
नारी लोकलाज के डर से
सिमट कर कशमकश में डूब जाती 
इन दोहरे मापदंडों को
भूल एक नया मापदंड अपनाना होगा 
ताकि सदियों से चले आ रहे
दोहरे मापदंडों की उलझनों से निकल
हर नारी को मान -सम्मान का जीवन मिल सके
- साधना 

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