Thursday, June 5, 2014

प्यारी कोयल

























एक प्यारी काली कोयल जो है तन से काली पर वाणी से मधुर -मधुर
मचा रही आम की घनी डालियों के इर्द-गिर्द कुहू -कुहू का शोर 
अचानक चुप हो कर जागती सबके मन में विस्मय 
सबकी निगाहें ढूंढती उसे
चंहुँ और छोटे -छोटे बच्चे व्याकुल हो
मचाने लगते कुहू-कुहू का शोर 
सयानी कोयल डालियों पर फुदक -फुदक कर लेती छुपने का मजा 
फिर मौन तोड़कर सुनाती नयी अदाओं से
इठला -इठला कर अपना नया तराना,
मोह लेती सबके मन को अपनी मोहक आवाज से 
और सभी डूब जाते कुहू-कुहू के मस्त राग में 
- साधना 

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