तमस से भरी, लम्बी रात के बीत जाने के बाद
सृष्टि करती लालिमा से भरे सूर्य के उदय होने का इंतजार
नन्ही बुलबुल, अलसाते पशु-पक्षी, विशाल वृक्ष,
नाजुक लताएँ तकती रहती सूर्य की और,
सूर्य कुछ अनमना हो निकल पड़ता
नाजुक लताएँ तकती रहती सूर्य की और,
सूर्य कुछ अनमना हो निकल पड़ता
बादलों की ओट से फिर धीरे-धीरे धधकती अग्नि का गोला बन
चारों और फैला देता नवजीवन का प्रकाश
पर आकाश में सूर्य सदा अकेला अनमना सा रहता
उसके धधकते मन में सदा बना रहता गहन अंधकार
- साधना
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