मेरे पापा की स्मृति में...
पापा के साथ बिताये हर पल को याद कर,
मन अतीत की यादों में डूब जाता,
याद आता हर वो लम्हा,
जब हमारी हर ख़ुशी के लिए अपने आप को भूल,
हम पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार हो जाते थे पापा,
कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुराकर हौसला बढ़ाते थे,
पर तब हम समझ नहीं पाते थे उनके अंतर्मन की बातें,
छोटी-छोटी उपलब्धियों पर भी,
पीठ थपथपा कर आगे बढ़ने का देते थे आशीर्वाद,
पर आज जब भी कुछ लिखती हूँ,
मन मसोस कर रह जाती हूँ,
काश मेरी छोटी-छोटी रचनाओं को पढ़ पाते मेरे पापा
-- साधना सहज
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