भोर का सूरज निकलने से पहले
मैं कुछ जल्दबाज़ी में हूँ,
मैं चुन लेना चाहती हूँ पेड़ पर लगे
हरसिंगार के सिन्दूरी आभा से भरे महकते फूल
बिखरकर हवा के झोंकों से उड़कर
धरती पर फैलने से पहले,
स्मृतियों को भरना चाहती हूँ,
हरसिंगार के फूलों की भीनी-भीनी महक से सदा के लिए...
- साधना सहज
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