जब भी उस राह से गुज़रती,
वृद्धाश्रम में वृद्धों को खिलखिलाकर हँसता देखती
लगता वे सभी अपनी दुःखद यादों को भूल जाना चाहते है
उनके झुर्रियों से भरे चेहरे,
मुँह के किनारों से टपकती लार,
काँपते हुए हाथ,
चल न पाने की विवशता नज़र आती
पर अपने अतीत की यादों में डूबे हुए,
खुश होने का अभिनय करते हुए गुज़ारते अपने वक़्त को,
क्षमा कर देते है वे दिल से,
उनके साथ जो भी गलत व्यवहार हुआ है
और करते अपनी अंतिम यात्रा का इंतज़ार....
-- साधना 'सहज'