मैं उन टूटे रिश्तों की चुभन महसूस कर रही हूँ
जो इस संसार की भागमभाग में टूट कर खो गए हैं
रिश्तों को सुखद व सुवासित बनाना चाहती हूँ,
पर बहुत कठिन सा लगता है, रिश्तों को आसानी से बदल पाना,
क्योंकि चारो ओर छल कपट से भरी दुनिया नजर आती है
अपने ही अपनों को छलते हैं,
कोशिशो में सफलता का विश्वास ले
हम इन रेगिस्तानो में भटकते है
मन सोचता है एक बार फिर मिलकर
हम तुम कुछ बातें करते
कुछ तुम कहते कुछ हम कहते,
मिल कर दोनों के आंसूओं के सैलाब में
बह जाते सारे गिले-शिकवे
सुबह होने पर रक्तिम आभा लिए
एक नया सूरज बादलों की ओट से
मुस्करा कर निकलता
और हम भूल जाते टूटे रिश्तों की चुभन...
जो इस संसार की भागमभाग में टूट कर खो गए हैं
रिश्तों को सुखद व सुवासित बनाना चाहती हूँ,
पर बहुत कठिन सा लगता है, रिश्तों को आसानी से बदल पाना,
क्योंकि चारो ओर छल कपट से भरी दुनिया नजर आती है
अपने ही अपनों को छलते हैं,
कोशिशो में सफलता का विश्वास ले
हम इन रेगिस्तानो में भटकते है
मन सोचता है एक बार फिर मिलकर
हम तुम कुछ बातें करते
कुछ तुम कहते कुछ हम कहते,
मिल कर दोनों के आंसूओं के सैलाब में
बह जाते सारे गिले-शिकवे
सुबह होने पर रक्तिम आभा लिए
एक नया सूरज बादलों की ओट से
मुस्करा कर निकलता
और हम भूल जाते टूटे रिश्तों की चुभन...
- साधना
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