बहुत लंबे इंतज़ार के बाद बादल,
रुई से नर्म हो जल से भरकर आए,
पवन भी लहरा-लहरा कर,
बल-खाकर इतराने लगी,
जमकर बरसी प्यारी बदली,
नवजीवन का संचार हुआ,
प्यासी तरसती आँखों को भी आराम मिला,
लगा जैसे कई दिनों से,
बिछड़ी सखी आकर मिली,
हर तरफ अपनेपन का एहसास हुआ,
पल भर में गर्मी से मिली थकान दूर हो गयी,
मस्त-मस्त कारी बदरिया ने,
नए-नए सपनों से श्रृंगार किया।
- साधना
No comments:
Post a Comment