हमारा जीवन निरंतर गतिशीलता का प्रमाण है। जिसमें हमें सदा आगे ही आगे चलना होता है। हर पल सजगता को अपनाकर प्रगति-पथ पर चलना होता है। जरा भी हिचकिचाहट में कदम पीछे खींचने पर गति थमने लगती है, पर अवचेतन मन सदा सजग रहता है। वह हमारी उसी भूल को जीवन की सीख बना देता है, ताकि हम अगली बार बिना गलती करे अपने हर कार्य को सम्पूर्ण तन्मयता से कर पाएँ। हमारी आकांक्षाएँ न तो बहुत ज्यादा होनी चाहिए और न बहुत कम। आकांक्षाएँ अधिक होने पर पूरी नहीं हो पाएँगी और हम दुखी हो जाएंगे। इसलिए मध्यम मार्ग को अपना कर शांत मन से हमें अपने जीवन-पथ पर आत्मविश्वास के साथ अग्रसर होना चाहिए।
-साधना
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