इसी दिन से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। इस तिथि को भगवान बद्रीनाथ के पट भी खुलते है। आज के दिन ही साल भर में एक बार वृन्दावन में श्री बिहारीजी के चरणों के दर्शन होते है।
आखातीज एक सामाजिक पर्व भी है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे सभी शुभ कार्य आरंभ किए जा सकते है। आज का दिन हमारे आत्म विश्लेषण करने का दिन है। हमें इस दिन स्वयं का अवलोकन और आत्मविवेचन करना चाहिए। हमें आज के दिन अहंकार, स्वार्थ, काम, क्रोध, लोभ और बुरे विचारों को छोड़कर सकारात्मक चिंतन करना चाहिए जिससे हमें शांति व दिव्य गुण मिल सके।
इस दिन दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है। इस तिथि पर दही, चावल-दूध से बने व्यंजन, खरबूज, तरबूज और लड्डू का भोग लगाकर दान करने का विधान है।
आज के दिन ही महात्मा परशुरामजी का जन्म हुआ था। वे भगवान विष्णु के अवतार है। रेणुका पुत्र परशुरामजी ब्राम्ह्ण होते हुए भी क्षत्रिय स्वभाव के थे। सहस्त्रार्जुन ने उनके पिताजी जमदग्नि का वध कर दिया था, जिससे क्रोध में आकर परशुरामजी ने पृथ्वी को दुष्ट क्षत्रिय राजाओं से मुक्त किया था। भगवान शिव के दिये हुए अमोघ अस्त्र परशु को धारण करने के कारण इनका नाम परशुराम पड़ा था।
- (धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार)
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