प्राचीन इमारतें खंडहर-सी नज़र आती,
सूरज के निकलते ही सुनहरी आभा वाली,
किरणों का प्रकाश पड़ते ही इमारतें फिर जीवंत हो उठती,
महलों के महराबों झरोखो से आती,
रोशनी व ताजी बयार को महसूस कर लगता,
अभी-अभी महलों के दालानों में राजा का दरबार सजा है,
कहीं से हँसी ठिठोली करती रानियाँ व,
राजकुमारियों की पायल की रुनझुन,
मंद-मंद हँसने खिलखिलाने की आवाज़ महसूस होती,
कहीं सैनिको की आवाजाही तो कहीं,
घोड़ों-हाथियों से सजी सेना का एहसास होता,
कभी ढ़ोल-नगाड़ो की आवाज़ आती,
कहीं घोड़े की टापों की आवाज़ सुनाई देती,
रात की मधुर चाँदनी में एक सुंदर सी,
नर्तकी का आसपास होने का एहसास होता,
घुंघुरुओ की मधुर आवाज व तबले, सारंगी,
शहनाई के स्वर सुनाई देते,
मन इन प्राचीन इमारतों के वैभवपूर्ण इतिहास,
की कल्पनाओं में इसी तरह खो जाता...
- साधना
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