Thursday, May 16, 2013

द्रौपदी पांडवों की पत्नी क्यों हुई?

Ram and Sita - home altar


देवी भागवत के नवें स्कन्ध के 14वें अध्याय के अनुसार जब सीता-हरण का समय उपस्थित हुआ तो अग्निदेव ने भगवान श्रीराम से प्रार्थना की कि आप सीताजी को मुझमें स्थापित कर छायामयी सीता को अपने साथ रखिए।
फिर समय आने पर मैं सीताजी को आपको लौटा दूंगा। रावण की मृत्यु के पश्चात जब सीताजी कि अग्नि-परीक्षा हो रही थी, उस समय अग्नि-देव ने वास्तविक सीताजी को उपस्थित कर भगवान श्रीराम को सौंप दिया और छायासीता को श्रीराम व अग्निदेव ने पुष्कर क्षेत्र में जाकर तपस्या करने को कहा।
वही छाया सीता अगले जन्म में राजा द्रुपद के यहाँ यज्ञ-वेदी से द्रौपदी के रूप में प्रकट हुई। भगवान शिव की पूजा में तत्पर छाया सीता ने भगवान त्रिलोचन से प्रार्थना की थी कि मुझे पति प्रदान करें।
यही शब्द उनके मुख से पाँच बार निकले। भगवान महादेव परम रसिक है- उन्होनें प्रसन्न हो कर वर दिया कि तुम्हें पाँच पति मिलेंगे। इस तरह द्रोपदी पाँच पांडवों की पत्नी हुई।
- साधना

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