Friday, April 25, 2014

दिन ढलने लगा...


















दिन ढलने लगा सूर्यदेव पधारे अस्ताचल को,
शंख की ध्वनि से साँझ का आगमन हुआ,
दमक उठे घर आँगन , तुलसी चौरे पावन दीप के प्रकाश से
पवित्र घण्टियों का नाद हुआ,
उठ गए माँ के पवित्र हाथ विनती के लिए
मद्धम स्वर में प्रार्थना गूंज उठी
हे ,संझा मइया सबका भला करना
हर घर व सारे संसार में सदा सुख-शांति बनाए रखना...
- साधना 

Thursday, April 17, 2014

माँ की यादें


















photo taken from: Francois Bester's Flickr Photostream

शांत नीरव निस्तब्ध लम्बी रातों में 
सन्नाटों को चीरती
निशाचर पक्षियों कि चीखती आवाज़ें 
कुत्तों का सस्वर करुण रुदन
एक बूढ़ी माँ के मन को उद्वेलित कर जाता,
बोझिल मन विचारों की दुनिया में खो जाता,
मन की कई खिडकियाँ खुलती-बंद होती रहती 
मन के झरोखों में बंद यादें
आँखों के आगे तैर जाती 
जीवन में बिताए हुए सुख-दुःख के पल याद आते 
आँखों में नीर भर आता 
इन्हीं बीती यादों के सहारे बिताती माँ ,
माँ की ममता को भूल चुके बच्चों से
दूर रह कर अपना शेष जीवन
- साधना