Thursday, February 28, 2013

पृथ्वी

green spread...
ये पृथ्वी जीवन का आधार हैं,
पृथ्वी जल का भी आधार हैं,
सम्पूर्ण विश्व को अपने ममता भरे आँचल में आश्रय देती,
नित नए वृक्षों फूलों से श्रृंगार कर हर पल नए रूप बदलती,
लहलहाती हरीतिमा की चादर ओढ़ मन में शांति का भाव जगाती,
कहीं केसर की क्यारी बन अपनी खुशबू बिखराती,
कहीं झरनों की कल-कल से आगे बढने का संदेश दे जाती,
कभी सरसों के पीले फूलों की चुनर ओढ़ कर नई दुल्हन सी लगती,
कभी गेहूं-ज्वार की पकी बालियों के दानों से हम सबका पोषण करती,
यही पृथ्वी कुछ लोगों को राजा बना उन्हें यश व सम्मान देती,
और किन्हीं को रंक बना मजदूर बना देती,
ये पृथ्वी नित नए रंग बदलती,हर मन में नई आशा का संचार करती,
जब भी लालिमा लिए सूरज धरती पर आता हैं,
जीवन में नया जोश भर जाता हैं,
ये पृथ्वी हमारे जीवन की साक्षी बन अंत समय में,
हमें अपने आप में विलीन कर लेती,
हे मानव! तुझसे प्रार्थना हैं कि तू दानव बन इस सुंदर धरती का,
स्वार्थसिद्धि के लिए विनाश न कर,
जो माँ बनकर तुझे अपनी गोद में आश्रय देती हैं,
तू हर पल उसका सम्मान कर.... 
- साधना


Monday, February 25, 2013

खरगोश और मेंढक



honey bunny
खरगोश बहुत दुर्बल और डरपोक प्राणी होते हैं। बलवान जानवर उन्हें देखते ही मारकर खा जाते हैं। इस अत्याचार के कारण खरगोशों ने आपस में सलाह करके निश्चय किया कि हमेशा भयभीत रहकर जीने से अच्छा है कि प्राण त्याग दिये जाएँ। 

ऐसी प्रतिज्ञा करने के बाद सभी खरगोश पास के तालाब में कूदकर प्राण देने की इच्छा से इकट्ठे हुए। तालाब के किनारे पर पहुँचने पर खरगोशों ने देखा तालाब किनारे मेंढक बैठे हुए हैं। खरगोशों के पहुँचते ही सारे मेंढक तालाब में कूद पड़े। 

यह देखकर खरगोशों का नेता बोला- मित्रों! हम लोगों को इतना डरने की और अपने आप को असहाय समझने की ज़रूरत नहीं हैं। कुछ प्राणी ऐसे भी है जो हमसे भी दुर्बल और डरपोक हैं अतः हमें प्राण त्यागने की ज़रूरत नहीं हैं।

इसलिए हमारे जीवन में कितनी भी परेशानी आ जाए हमें निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसे अनेक लोग मिल जाएंगे जिनकी हालत हमसे भी ज्यादा खराब हैं बल्कि हमें कमजोर लोगों के प्रति सद्भावना रखनी चाहिए ताकि हम अपनी कठिनाइयों को भूल कर आगे बढ़ सकें। 
-(संत ईसप की नीतिकथाओं से प्रस्तुत)

Saturday, February 23, 2013

कूड़े का ढेर

Children of Jaipur
सुबह होते ही पीठ पर बड़ा सा झोला टांग कर,
निकल पड़ते नन्हें-नन्हें बच्चे,
घर से कचरा पेटी की तरफ सिर्फ इस आस में
कि जो आग उनके पेट में जल रही है वो शांत हो पाएगी,
कभी चुंबक को कचरे में फेंक लोहे के टुकड़े ढूंढते,
तो कभी लकड़ी से कूड़ा हटा प्लास्टिक के टुकड़े ढूंढते,
बचपन मजबूर है तन ढकने के लिए वस्त्र पाने व पेट भरने के लिए,
नन्ही-नन्ही आशाएँ जिनका समय है आगे बढ़ने
का वे ही मजबूर है दुनियादारी का बोझ उठाने के लिए,
एक मजबूर माँ को उसका छोटा-सा बेटा समझाता है
माँ परेशान मत हो, अपनी ज़िंदगी तो बस एक कूड़े का ढेर है,
हमें यही अपनी ज़िंदगी बिताकर यही मर जाना है।
- साधना

Tuesday, February 19, 2013

मेरी ज़िंदगी...

Life of Pie. Davao Version, Philippines
मेरी ज़िंदगी मैं तुम्हें दिल से जीना चाहती हूँ,
कभी छूना कभी चूमना तो कभी भूलना चाहती हूँ,
स्वप्न भरी आँखों को छूना चाहती हूँ,
आँखों से बहते हुए नमकीन आसुओं को,
अपनी उँगलियों से पोंछना चाहती हूँ,
ज़िंदगी मैं तुम्हारे रहस्यों को नहीं जानती,
पर इतना जानती हूँ कि मैं हर पल तुम्हें,
हर हाल में जीना चाहती हूँ,
मैं अपनी स्थूल काया से परे हो सूक्षम जीव की तरह,
ब्रह्माण्ड में विचरना चाहती हूँ,
ताकि मैं जीवन के हर रहस्य को जान सकूँ। 
- साधना 

Sunday, February 17, 2013

आया बसंत...

Close up view of orchid at the Fairchild Tropical Garden in Miami, Florida

आया बसंत ले फिर नई उमंग उल्लास
धरती ने ली फिर अंगड़ाई बदला अपना रूप
मस्त पवन लहराने लगी लरज़ उठे उपवन, मधुबन
महक उठा तन-मन, सृष्टि मंत्रमुग्धसी हो गयी
वृक्षों ने नव कोपलों को धारण कर
बदल लिए अपने परिधान
नए-नए रंग के फूलों की चुनरी पहन
धरती नव यौवना सी इठलाने लगी
आम्र वृक्ष पर मंजरी से लदी डालियाँ झुकने लगी
कोयल कुहकने लगी
बुलबुल मीठे स्वर में अपने गीत गाने लगी
कलियों ने मुस्कुरा कर स्वागत किया
भौरों की गुंजार, तितलियों के मोहक रंग
मन को लुभाने लगे
खेतों में गेंहू, चना, सरसों, अलसी की फसलें लहराने लगी
आकाश पतंगों की रंगिनियों से भर गया
सुनहरे सूरज को देख, ठंड रज़ाई में जा दुबक गयी
मन अलमस्त हो झूमने लगा
आया बसंत... चाहत भरे दिलों मे अरमान जगाने
- साधना

Friday, February 15, 2013

बसंत पंचमी महोत्सव

आज बसंत पंचमी का पर्व है। आप सभी को इस अवसर पर बहुत-२ शुभकामनाएं। इस पर्व के महत्व को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से मैं यह लेख लिख रही हूँ। आशा है यह  लेख आपको पसंद आएगा। अपनी टिप्पणियों (comments) द्वारा अपनी सोच मुझ तक पहुंचाइएगा।

माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता हैं। बसंत पंचमी के आते ही प्रकृति में नए परिवर्तन आने लगते हैं। दिन छोटे होते हैं, ठंड कम होने लगती हैं और पतझड़ शुरू हो जाता हैं। आम की मंजरियों पर भौरें मंडराने लगते है। जीवन में एक नया उत्साह और उमंग महसूस होने लगता हैं। 


इस दिन सरस्वती पूजन का विशेष महत्व हैं। माँ सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की देवी हैं। भगवान श्री कृष्ण के कंठ से उत्पन्न होने के कारण देवी का नाम सरस्वती हुआ। देवी सरस्वती ने ही संसार को निर्मल ज्ञान देकर इसका निर्माण किया हैं।

इस तिथि पर ही बच्चों का अक्षरज्ञान शुरू किया जाता हैं। पुस्तक और कलम में देवी सरस्वती का वास माना जाता हैं इसलिए पुस्तक और कलम की पूजा की जाती हैं। विद्या को सभी धनों में प्रधान धन कहा गया हैं। विद्या से ही ज्ञान प्राप्त होता हैं। माँ सरस्वती को प्रसन्न करके ही सभी महान ऋषियों ने सिद्धि को प्राप्त किया। विद्यार्थियों को विशेष रूप से माँ सरस्वती को प्रसन्न करना चाहिए ताकि वो अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त कर हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सके।

आशा है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। धन्यवाद
- साधना



Wednesday, February 13, 2013

प्यार

Love Letters | Schipul Love Fest 2011
प्यार में छुपी है जीवन की अनंत ऊर्जा,
प्यार के आने से घर-आँगन महक जाते,
प्यार के आने से दुनिया रंगीन नज़र आती,
ज़िंदगी की हर राह आसान नज़र आती,
प्यार में डूबकर दुनिया अपनी लगती,
प्यार ना मिले तो दुनिया बेरंग नज़र आती,
फिर प्यार में डूबकर मन कभी कवि कभी चित्रकार बन जाता,
प्यार हर दिन एक नया एहसास दिला,
हमारे दिल के दरवाज़े पर दस्तक देता,
प्यार ज़िंदगी का अनमोल तोहफ़ा है,
इसे बर्बाद न होने दे,क्योंकि प्यार फिर लौट कर नहीं आता। 
- साधना 

Tuesday, February 12, 2013

प्रवासी पक्षी

Marshland and migratory birds at Lake Havasu national wild-life refuge, which is about equally divided between California and Arizona. The lake is fed by the Colorado River, May 1972
बसंत की आहट पाते ही नन्हे पक्षी प्रवास से लौट आए,
कभी पेड़ों पर कभी झड़ियों में कभी बिजली के तारों पर,
कतार लगा मीठे-मीठे स्वर में मन को लुभाने लगे,
पेड़ों पर नए नीड़ बनाने लगे,आकाश में उड़ान भर-भर के,
नए तरीकों से अपना आशियाना बनाने लगे,
नर्म-नर्म रोओं से भरे अपने बच्चों को,
दूर-दूर से ला भोजन करा उन्हें उड़ना सिखाने लगे,
कुछ नन्हे पंछी उड़ान भरना सीखने लगे,
तभी अचानक एक आँधी सी आई,
टूट गए सारे स्वप्न बिखर गया नीड़,
नन्हें-नन्हें पंखों से ढके बच्चे जमीन पर गिर बेसहारा हो गए,
उड़ गए प्रवासी पक्षी फिर लौट कर आने के लिए।
- साधना 

Saturday, February 9, 2013

मौन












मौन है सब...
तुम क्यों बोलते हो, क्यों मौन का मान घटाते हो,
मौन मस्त-मौला है, सच-झूठ से परे है,
मौन के आगे शांति का मार्ग है,
मौन के आगे खुशी की राह है,
मौन की गूंज में हर पल उत्सव है,
मौन का गीत सबसे दुर्लभ है,
जहाँ वक्ता भी हम ही है और श्रोता भी,
प्रकृति मौन रहकर अपना दुलार पंछी, फल-फूल,
धन-धान्य के रूप में हम पर लुटा रही है,
हमें मौन रहकर प्रेम से जीना सीखा रही है,
ताकि जीवन शांति और सद्भावना के साथ बीत सके।
- साधना 

Wednesday, February 6, 2013

आलस्य से पतन होता है

Camel at Gaochang
एक ऊँट था, उसे पूर्वजन्म की सारी बातें याद थी। ऊँट होते हुए भी वह तपस्या में लगा रहता था। उसकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उसे वरदान मांगने को कहा। ऊँट ने कहा- भगवान यदि आप प्रसन्न है तो वर दीजिये कि मेरी गर्दन इतनी लंबी हो जाए की मैं एक स्थान पर बैठा-बैठा सौ मील दूर तक का भोजन खा सकूँ। भगवान ने कहा- 'ऐसा ही होगा।' 
अब ऊँट लंबी गर्दन कर बैठे-बैठे अपना भोजन पा लेता था। इस तरह वह आलस्य की मूर्ति बन बैठा। एक दिन ऊँट बहुत दूर देश में चर रहा था। तभी बारिश आने लगी, बारिश से बचने के लिए ऊँट अपनी गर्दन एक गुफा में डालकर चरने लगा। संयोग से उसी गुफा में भूखा सियार का जोड़ा बैठा था, उन्होने ऊँट की गर्दन को काट-काट कर खाना शुरू कर दिया। जब सौ मील दूर बैठे ऊँट को दर्द महसूस हुआ तो वह अपनी गर्दन समेटने लगा, पर ये संभव न हो सका। इस तरह सियार के काट कर खा जाने से ऊँट की मृत्यु हो गयी। 
इसीलिए हमें आलस्य नहीं करना चाहिए और हमेशा कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि आलस्य ही पतन का कारण होता हैं। 
- (महाभारत से प्रस्तुत नीतिकथा)

Tuesday, February 5, 2013

प्यार

Broken Heart

प्यार में दिल के टूटने की आहट नहीं होती,
दिल शीशे की तरह चूर-चूर हो जाता है,
बिखरे टुकड़ों में अलग-अलग अक्स नज़र आते,
जोड़ने की चाहत में हाथ लहूलुहान हो जाते,
मगर जुडने की कोई राह नज़र नहीं आती,
शीशे के टुकड़ों से आईना बन जाता है,
पर टूटे टुकड़े नहीं बन पाते बेदाग आईना,
टूटे टुकड़ों में अधूरे से चेहरे नज़र आते,
एक अधूरेपन का हर पल एहसास कराते,
पर दिल फिर जुडने की चाह में धीरे-धीरे प्यार में खो जाता। 
- साधना

Saturday, February 2, 2013

शब्द











शब्द कमाल के जादूगर होते है,
पल-पल में अपना रूप बदलते है,
ज़रा भी गलत प्रयोग होते ही अर्थ को अनर्थ में बदल देते,
कभी अपने को पराया बना देते, तो कभी पराए को अपना बना लेते,
कभी छुपे हुए मनोभावों को व्यक्त कर देते,
कभी दिल में भरे गुबार को बाहर निकाल डालते,
कुछ अनकही बातों को कह जाते,
ईश्वर के समक्ष प्रार्थना बन प्रकट हो जाते,
शब्द के गूंजने से सजीव हो उठता यह मूक संसार,
जोश में भरे शब्द क्रांति का आव्हान करते,
सांत्वना में डूबे शब्द घाव पर मरहम लगाते,
प्यार में डूबे दो शब्द हर शख्स को अपना बना डालते,
नफरत में डूबे शब्द हिंसा-अलगाव को जन्म देते,
रोते हुए शिशु के लिए लोरी बन जाते ,
सुर-ताल के संग मिलकर गीत बन जाते,
ॐ की ध्वनि के साथ मिल मंत्र बन जाते 
साधको को सिद्धि प्रदान करते ये शब्द,
शब्दों के बिना जीवन का सफर अधूरा है,
इसलिए शब्द जीवन और जीवन शब्द  है।

- साधना