Wednesday, September 30, 2015

नारी अधिकार...


नारी तुम कोमल हो, त्याग, पवित्रता, 
ममता की मूरत हो,
प्रेम से हर मन को जीत, 
बड़ी से बड़ी विपदा का सामना करती हो,
अपनी मानसिक शक्ति को दृढ कर, 
तुम जीवन की हर बाधा को हरा देती हो,
अथक परिश्रम से तुम हर राह को
आसान बना देती हो,
लेकिन पुरुष के दैहिक बल के आगे, 
तुम निरीह बन जाती,
तुम्हे अपने अधिकार पूर्ण रूप से 
नहीं देना चाहता ये समाज,
पर अब देना ही होगा समानता का, 
स्वतंत्रता का अधिकार
अन्यथा नारी की तीसरी दृष्टि 
खुलने पर मच जायेगा हाहाकार...
-साधना