Thursday, April 11, 2013

वासंतिक नवरात्र


आज चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवसंवत्सर का आरंभ होता है। आप सभी को इस अवसर पर बहुत-२ शुभकामनाएं। इस पर्व के महत्व को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से मैं यह लेख लिख रही हूँ। आशा है यह  लेख आपको पसंद आएगा। अपनी टिप्पणियों (comments) द्वारा अपनी सोच मुझ तक पहुंचाइएगा।

प्रतिपदा तिथि से हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है। इसी तिथि से पितामह ब्रम्हा ने संसार का निर्माण शुरू किया था। इसी दिन राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत की। 

इस नवरात्र में माँ भगवती दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। घट स्थापना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। पूरे नौ रात्रियों तक पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। अंतिम दिन हवन करके पूर्णाहुति की जाती है। अष्टमी और नवमी को सभी घरों में विशेष पूजा की जाती है। कन्या पूजा नवरात्र का अनिवार्य हिस्सा है। कन्याओं को देवी मानकर उनको भोजन कराकर उनकी पूजा की जाती है। कन्याओं को वस्त्र और फल भेंट किए जाते है।

चैत्र नवरात्र में शक्ति के साथ शक्तिधर की भी पूजा की जाती है। देवी भागवत के साथ ही रामायण का भी पाठ होता है, इसलिए यह नवरात्र,  देवी नवरात्र के साथ-साथ राम नवरात्र के नाम से भी प्रसिद्ध है। 

आज के दिन नए वस्त्र पहनना चाहिए। घर को ध्वज,पताका और बंदनवार से सजाना चाहिए। आज का दिन गुड़ीपड़वा के रूप में भी मनाया जाता है। घर के बाहर रेशमी वस्त्र से गुड़ी बांधी जाती है। इस दिन घरों में पूरणपोली और श्रीखंड बनाया जाता है। आज के दिन नीम के कोमल पत्तों, फूलों का चूर्ण बनाकर उसमें काली मिर्च, नमक, हिंग, जीरा, मिश्री, और अजवाइन डालकर खाना चाहिए। इसे खाने से रक्त संबंधी बीमारियों से बचाव होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। 

आशा है आपको ये जानकारी पसंद आएगी। धन्यवाद
- साधना

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