Saturday, April 27, 2013

कांक्रीट के जंगल

Mt. Fuji sunset from Tokyo Tower
गाँव शहरों में बदल गए, कट गए विशाल बरगद, पीपल, नीम,
कांक्रीट के जंगलों को देख मन बैचेन हो जाता,
बैचेनी से पाँव थम जाते, याद आती खेत खलिहानों की और वृक्षों की,
इन्हीं विशाल वृक्षों की छाया में बीता बचपन,
पितरों के आशीर्वाद सा लगता था वृक्षों का साया,
याद आती है नदी के स्वच्छ जल में तैरती स्वप्नों की नाव,
अमराई में आम, इमली से लदे वृक्षों से चुराना अमिया, इमली,
खरबूजों की बाड़ी से खरबूजे चुराकर खाना,
नदी में दूर तक तैर कर जाना, पर हम बेबस है कांक्रीट के,
घने जंगलों ने छिन लिया है हमसे प्रकृति का हर पलछिन... 
- साधना 

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