जीवन -मृत्यु पंछी के दोनों पंखो के समान है
जीवन के आते ही मृत्यु का दिन निश्चित हो जाता है
जीवन में आते ही मिलता है प्यार-दुलार,
आशा-निराशा, कभी खुशी कभी गम,
कहीं माता -पिता का प्यार कभी भाई-बहन का स्नेह,
कहीं पति-पत्नी का पवित्र रिश्ता,
लेकिन एक दिन अचानक पंछी का
दूसरा पंख फड़फड़ाने लगता,
दूसरा पंख फड़फड़ाने लगता,
और जीवन-मृत्यु में बदल जाती,
सारे बंधनों से आत्मा मुक्त हो जाती,
और हो जाती अनंत में विलीन,
पीछे रह जाती है सिर्फ यादें...
पीछे रह जाती है सिर्फ यादें...
- साधना
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