Friday, March 8, 2013

नारी शक्ति

Devi Durga

नारी तुम सदा वंदनीय हो!!
तुम्हारा पूरा जीवन एक कठिन तपस्या हैं,
वेदों के अनुसार तुम्हें पूजा स्थल में बैठ यज्ञ करने
की कोई ज़रूरत नहीं क्योंकि तुम अपने परिवार व समाज की
हर ज़रूरत को पूरा करती हो।
अन्नपूर्णा बन सबकी भोजन क्षुधा शांत करती,
कभी बहन बन भाई की लंबी उम्र व शांतिपूर्ण जीवन की दुआ मांगती,
कभी प्रेयसी बन अपने प्रियतम को रीझाती,
कभी सुशील बहू बन अपने सास-ससुर की सेवा कर अनेकों आशीष पाती,
संतानों को जन्म दे वंश को आगे बढ़ाती,
बच्चों पर अपना प्यार न्योछावर कर
उन्हें प्रेम व सद्व्यवहार करना सिखाती,
तुम्हारे हर रूप के आगे देवता भी नतमस्तक हैं,
तुम्हारी व्यापकता में खो जाना चाहते हैं,
इसलिए हे नारी! तुम्हें अपनी छवि को हमेशा
साफ-सुथरा व उज्जवल बनाए रखना होगा,
ताकि तुम सदा वंदनीय बनी रहो।
- साधना


नारी तुम शक्ति हो,
घर में हो तो गृहलक्ष्मी, धर्मपत्नी कहलाती हो
संतान की जननी होने से माँ कहलाती हो
कहीं पुत्री, कहीं बहू,
अनंत रूपों को धारण कर
तुम परिवार को, इस संसार को चलाती हो
माँ स्वरूप में अपने बच्चों के
हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की कामना करती हो
सुख-दुख मे उनके साथ रहती हो सदा
संस्कार देकर अच्छे उन्हे सदाचार सिखाती हो
परिवार पर कोई कष्ट न आए इसलिए
पूजा, प्रार्थना, व्रत, उपवास कर
हर अनिष्ट को दूर रखना चाहती हो
तन से भले ही थक जाओ
पर मन से सशक्त हो
परिवार की हर ज़रूरत पूरी करती हो
इस सब पर भी इस कलयुग में
अपयश और अपमान ही तुम्हारे हिस्से आता है
कहने को सबकुछ तुम्हारा होता है
फिर भी तुम सदा खाली हाथ रहती हो
इस समाज से प्रार्थना है मेरी
वे नारी का अपमान ना करें
क्योंकि नारी तुम ही तो
दुर्गा, राधा, लक्ष्मी का रूप हो

साधना

No comments:

Post a Comment