Monday, March 17, 2014

रंग उड़ाती
















रंग उड़ाती, मन को बहलाती
सारे जग को अपने रंग में रंगने होली आई
नीले-पीले, हरे-गुलाबी
कच्चे-पक्के रंगो से भिगोने आई
फागुन के इस रंग में डूबा
टेसू पहन केसरिया बाना
आ धमका प्रकृति को रंगने अपने रंग में
चुलबुल बुलबुल नए राग सुना
सबको खुशियों से भिगोने आई
भूल कर सारे गिले शिकवे
सद्भावनाओं के रंग में रंगने
रंग -बिरंगी होली आई
शोर मचाती, हुल्लड़ करती
मस्तानो कि टोली आई
रंग उड़ाती, मन को बहलाती
रंग-बिरंगी होली आई....
- साधना 

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