Tuesday, August 7, 2018

अंतिम समय...

अंतिम समय में जब शरीर शांत-क्लांत होगा,
थक कर पलके निढाल हो बंद हो जाएगी
बंद आँखों के सामने चलचित्र के समान 
गुजरेगी जीवन भर की यात्रा
कि हमने कब भला किया,
कब बुरा किया,
देखे कैसे-कैसे सपने
कब मन बैचैन रहा,
कब हरषाया 
कभी उत्सुकता से भरे पल,
कभी झूठ, नफरत, घृणा से भरे पल
पर सच तो यह है की 
बंद आँखों से निकल पड़ेंगे 
अविरल अश्रु और दिल से सबसे पहले 
समाप्त हो जायेगे जीवन भर के 
झूठ, नफरत और घृणा से भरे पल... 
- साधना 'सहज' 

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