रात के घनेरे सायों में मन यादों में खो जाता है
बचपन के सुहाने पल याद आते हैं
अपने पूर्वजों की स्मृति व प्यार में डूब जाता है
हर पल लगता है काश, बचपन फिर लौट आता
तितलियों के पीछे फिर भागना, आकाश नीम के तले
फूलों को चुनना, वेणी बनाना
सखियों के साथ दौड़ना भागना
अपने भाई बहनों के साथ उठना दौड़ना भागना
गर्मी की गर्म रातों में छत पर तारे गिनना
सर्द रातों में दादा-दादी से कथाएँ सुनना
बारिश में हमउम्र दोस्तों के साथ
पानी में नाव चलाना, भीगना, मस्ती करना
सब कुछ एक स्वप्न की तरह, आँखों मे तैर जाता है
तब मन सोचता है, काश! बचपन फिर लौट आता
बचपन के सुहाने पल याद आते हैं
अपने पूर्वजों की स्मृति व प्यार में डूब जाता है
हर पल लगता है काश, बचपन फिर लौट आता
तितलियों के पीछे फिर भागना, आकाश नीम के तले
फूलों को चुनना, वेणी बनाना
सखियों के साथ दौड़ना भागना
अपने भाई बहनों के साथ उठना दौड़ना भागना
गर्मी की गर्म रातों में छत पर तारे गिनना
सर्द रातों में दादा-दादी से कथाएँ सुनना
बारिश में हमउम्र दोस्तों के साथ
पानी में नाव चलाना, भीगना, मस्ती करना
सब कुछ एक स्वप्न की तरह, आँखों मे तैर जाता है
तब मन सोचता है, काश! बचपन फिर लौट आता
- साधना
kaash mera bachpan bhi aisa hota.
ReplyDeletebahot badiya...........
ReplyDeleteMaine pura nahi lekin kuch-kuch aisa hi bachpan jiya hai... :)
ReplyDeleteMaza aa gaya.