Wednesday, December 17, 2014

जगत जननी


हे जगत जननी तुम शक्ति हो
शिव के साथ मिल तुम और भी शक्तिशाली हो जाती हो
तुम्हारे हज़ारों हाथ हैं, तुमसे विनम्र विनती है
मुझे मेरे दो हाथों के अतिरिक्त और दो हाथ प्रदान कर दो
क्योंकि, मैं लगन से काम करने के बाद भी किसी भी कार्य में पूर्णता प्राप्त न कर सकी
थक चुकी हूँ, चारों और असंतुष्ट चेहरे नज़र आते हैं
मैं संतुष्ट देखना चाहती हूँ हर चेहरे को
मैं सभी निःशक्त-जनो, जरुरतमंदो की मदद करना चाहती हूँ
और पूर्णता को प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बना
समर्पित करना चाहती हूँ, तुम्हारे चरणों में...

 - साधना

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