Tuesday, December 9, 2014

उम्र का एहसास...












बेहद सर्द दिनों में एक बूढ़ा बैठ कर दालान में बीड़ी का धुँआ उड़ाते हुए
उदास मन से देखता था कभी इधर -कभी उधर
वह कर रहा था, बादलों से सूरज के निकलने का इंतजार
सूरज निकला पर पहुँच चुका था धीरे -धीरे पश्चिम की ओर
गुनगुनी धूप के मखमली एहसास को पाकर
मन में कुछ गर्मी का अहसास हुआ
पर ढलते हुए सूरज को देख
मन में अपनी ढलती हुई उम्र का भी अहसास हुआ और
वह असहाय सा तकता हुआ रह गया
सिर्फ बीड़ी से उठता धुँआ....
- साधना 

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