Friday, December 4, 2015

मेरी मासी...

मासी तुम माँ सी हो,
तुम्हारे निर्मल प्यार में बसता है
हम सबका जीवन,
तुम्हारी उठती-झुकती पलकों में है
जीवन का साँझ-सवेरा,
तुम्हारी ममतामयी मीठी वाणी में है बसी,
शाम को मस्जिद से उठती अजान,
सुबह को पूजा से उठते मंत्रो के स्वर,
जीवन के सारे रिश्ते तुमसे ही,
तुम्ही हो हम सबकी आशा, उम्मीद और विश्वा,
तुमसे मिलकर जीवन में आया नया आत्मविश्वास,
तुम्हारी इबादतों से ही है हम सबका जीवन गुलज़ार...
 - साधना 

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