Saturday, May 11, 2013

काश बचपन फिर लौट आता...

tree swing #2

जेठ की तपती दोपहर में विशाल नीम का वृक्ष स्थिर रहता,
सबको शीतल छाया व पवन देता,
जब भी गर्मी की छुट्टियाँ होती,
सारे बच्चे उस वृक्ष के नीचे जमा हो बतियाते,
नन्ही-नन्ही सारी लड़कियाँ उसकी छाया में खेलती,
कभी मम्मी-पापा की नकल,
तो कभी स्कूल टीचर की नकल कर अपनी दोपहर बिताती,
कभी आइस-क्रीम वाले की, कभी गन्ने के रस वाले की,
राह ताकती नज़र आती,
उन बच्चियों की प्यारी सी बातें, रस्सी कूदना,
नीम की डाली पर रस्सी बांध झूला झूलना,
देख मन फिर से छोटी-सी बच्ची बन जाने को करता,
कभी चिड़ियों की चहचहाहट, गिलहरी का भागना,
कोयल का कुहु-कुहु करना मन को भा जाता,
बस मन में यही विचार आता कि काश बचपन फिर लौट आता... 
- साधना

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