Thursday, November 8, 2012

जीवन

जीवन एक बहती हुई नदी के समान है
जिसमें कई बुलबुले उठते है, तैरते है,
फिर टूट जाते हैं, फिर उठते है फिर डूब जाते है
एक दिन इसी तरह टूटते व बिखरते हुए
अपने लक्ष्य पर पहुँच ही जाते है
मंज़िल को हासिल कर लेना ही जीवन का लक्ष्य है
वरना जीवन समंदर की गहराईयों में डूब जाते हैं

- साधना

1 comment:

  1. हाँ,मंज़िल को पाना ही है,अब यही लक्ष्य है। जीवन को डूबने नहीं देंगे।
    दिल से धन्यवाद!!
    दिल को छू लिया...
    :-)

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