Thursday, November 8, 2012

डूब गया सूरज...

डूब गया सूरज, गूँजे कहीं बंसी व मादल के स्वर
दिन-भर सुनहरी पीली धूप, फैला सूरज चला गया,
तपती दोपहरी में, नीम तले पक्षियों ने कलरव का शोर किया,
दिन-भर खेतों में अलसाई धूप में वृक्ष खड़े रहे,
गलियाँ दिन-भर सुनसान रही, 
फूल भी संशय में डूबे अधखिले से चुप-चाप रहे,
ताल तलैयों में, घरों में सब अलसाए से रहे,
डूब गया सूरज साँझ हुई, शशि ने दूध सी धुली चाँदनी फैलाई,
डूब गया सूरज...

- साधना

2 comments:

  1. यह कविता मुझे अब तक सबसे अच्छी लगी।

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  2. Hmmm...mujhe bhi,
    iske shabd sach mein bahut impressive hai.

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