Friday, November 30, 2012

गिलहरी

Indian Palm Squirrel Portrait
सुनहरी गुनगुनी धूप में एक नन्ही सी गिलहरी
नाज़ुक सी, नर्म सी
कभी मुंडेर पर इधर-उधर भागती
कभी तार, कभी बगीचे, कभी मैदानों मे
फुदक कर, कूद कर भाग जाती
कभी नीम की डाली पर कूदती-फाँदती
कभी हाथ जोड़े दाने खाती
इस दुनिया की परेशानियों से अंजान
नीम की डाली पर अपना नीड़ बनाती
सुबह से खोज में लग जाती
कभी रुई कभी कपड़ों की कतरन
तो कभी धागे ढूंढ-ढूंढ कर लाती
फिर कुछ दिनों बाद अपने नन्हें बच्चों के लिए
दूर-दूर से दाना ढूंढ लाती
दुनिया भर की मुसीबतों से
कभी बाज, कभी बिल्ली से बचाती
जीवन की विषम कठनाइयों से बिना डरे
एक नन्ही सी गिलहरी अपने जीवन को
बिना किसी तनाव के
सहज, सरल, सुंदर ढंग से बिताती
-साधना

1 comment:

  1. फोटो और कविता बहुत ही अच्छी है।
    मज़ा आ गया...

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