
ओ सशक्त नारी!!
सुनो आने वाले तूफान की आहट,
जो हर पल तुम्हें विनाश की ओर धकेल रहा,
तुम्हारे ही द्वारा पैदा की गयी संतान में भेदभाव कर रहा,
हर बार कन्या भ्रूण की हत्या कर तुम्हारे खून को नष्ट कर रहा,
फिर भी तुम खुश हो इसी दुनिया का साथ देती हो,
तुम क्यू नहीं सुनती अपनी बिटिया की आवाज़,
जो नन्ही-सी परी बन घर-आँगन को सजाती,
उस परी के आने से घर उमंग-उल्लास से भर जाता,
सारे तीज-त्योहारों पर उसके होने से रौनक छा जाती,
तुम उस अजन्मी आवाज़ को सुनो,
और अपने वजूद को पहचानो वरना,
इस समाज के ठेकेदार तुम्हारी भावनाओ को,
कुचलकर अपने अहम को इसी तरह संतुष्ट करते रहेंगे
सुनो आने वाले तूफान की आहट,
जो हर पल तुम्हें विनाश की ओर धकेल रहा,
तुम्हारे ही द्वारा पैदा की गयी संतान में भेदभाव कर रहा,
हर बार कन्या भ्रूण की हत्या कर तुम्हारे खून को नष्ट कर रहा,
फिर भी तुम खुश हो इसी दुनिया का साथ देती हो,
तुम क्यू नहीं सुनती अपनी बिटिया की आवाज़,
जो नन्ही-सी परी बन घर-आँगन को सजाती,
उस परी के आने से घर उमंग-उल्लास से भर जाता,
सारे तीज-त्योहारों पर उसके होने से रौनक छा जाती,
तुम उस अजन्मी आवाज़ को सुनो,
और अपने वजूद को पहचानो वरना,
इस समाज के ठेकेदार तुम्हारी भावनाओ को,
कुचलकर अपने अहम को इसी तरह संतुष्ट करते रहेंगे
- साधना
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