Tuesday, January 15, 2013

प्रिय बांसुरी

Krishna-II
कान्हा! 
मैं तुमसे तुम्हारी सबसे प्रिय बांसुरी सिर्फ 
एक दिन के लिए लेना चाहती हूँ,
उसे अपने हाथों में ले उसको चूमना चाहती हूँ,
कभी गोद में रखकर, कभी हवा में लहराकर,
उसको महसूस करना चाहती हूँ,
कभी अपने अधरों से लगा सुरीली तान छेड़ना चाहती हूँ,
शाम ढलने पर उसकी धूप-दीप कर स्तुति करना चाहती हूँ,
पारिजात के सुगंधित फूलों से सजाकर
तुम्हें वापस करना चाहती हूँ ताकि
तुम चाँदनी रात में बांसुरी की मधुर तान
सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर सको
- साधना

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