Sunday, January 27, 2013

रिश्ते

Don't Let Go.
रिश्तों के रंग अजीब होते है,
यह सिर्फ एक एहसास है जिन्हें महसूस किया जाता है,
ये कभी बारिश बन हमें सुकून देते हैं,
कभी भीगी लकड़ी की तरह जल कड़वा धूँआ देते,
तन-मन को भिगोकर दुख में अपने बन जाते,
कहीं कोई अपना पराया न हो जाये, 
इस अंजाने डर से डरा जाते,
यही सोच-सोच कर ज़िंदगी चलती रहती,
नये-नये रिश्ते-नातों में हम जीवन ढूंढते रहते,
रिश्ते यूं ही उलझ जाते और मन कड़वाहट से भर उठता,
तो कही से फिर नयी सुगंध आती,
जब सूरज ढल जाता तो मन यादों में डूब गमगीन हो जाता,
पर सुबह के आते ही मन फिर मुस्कुराने लगता,
ज़िंदगी सवाल बन हर पल नये जवाब मांगती,
दो पल के लिए रिश्तों से दूर होकर शांत भाव से
मनन करने पर ज़िंदगी फिर खूबसूरत हो जाती।
- साधना

2 comments:

  1. आपने प्रकृति के माध्यम से रिश्तों की जटिलता बहुत अच्छे से समझाई है।

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  2. I don't have any word to comment on this... : | (speechless)
    Last lines made this verse simply wonderful!

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