Sunday, January 6, 2013

सूरज

Sun over Rossnowlagh
उस दिन सूरज दिन भर
बादलों से लुका-छुपी करता रहा
कभी धूप कभी छाया की
चादर बिछाता रहा
शाम का अंधेरा होने के बाद
सितारों के साथ मिलकर बतियाता रहा
सुबह फिर आई, खिड़की से सुनहरी रोशनी कर
सूरज मुझे जागता रहा
उठाने के लिए मुझे प्यार से
अपनी किरणों से सहलाता रहा
सूरज के आने से जीवन उजालों से भर गया
पक्षी चहचहाने लगे
फूल, पक्षी, आकाश, नदी
सभी मस्ती से भर गए
सूरज सभी को समान प्यार व आशीष देता रहा
सूरज से स्नेह का ये रिश्ता है
सूरज का रोज़ आना आदत मे आ गया
हम भी सुबह से याद कर रहे थे
और सूरज भी समय बिताने
रोज की तरह आ गया
- साधना

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