
आया बसंत ले फिर नई उमंग उल्लास
धरती ने ली फिर अंगड़ाई बदला अपना रूप
मस्त पवन लहराने लगी लरज़ उठे उपवन, मधुबन
महक उठा तन-मन, सृष्टि मंत्रमुग्धसी हो गयी
वृक्षों ने नव कोपलों को धारण कर
बदल लिए अपने परिधान
नए-नए रंग के फूलों की चुनरी पहन
धरती नव यौवना सी इठलाने लगी
आम्र वृक्ष पर मंजरी से लदी डालियाँ झुकने लगी
कोयल कुहकने लगी
बुलबुल मीठे स्वर में अपने गीत गाने लगी
कलियों ने मुस्कुरा कर स्वागत किया
भौरों की गुंजार, तितलियों के मोहक रंग
मन को लुभाने लगे
खेतों में गेंहू, चना, सरसों, अलसी की फसलें लहराने लगी
आकाश पतंगों की रंगिनियों से भर गया
सुनहरे सूरज को देख, ठंड रज़ाई में जा दुबक गयी
मन अलमस्त हो झूमने लगा
आया बसंत... चाहत भरे दिलों मे अरमान जगाने
धरती ने ली फिर अंगड़ाई बदला अपना रूप
मस्त पवन लहराने लगी लरज़ उठे उपवन, मधुबन
महक उठा तन-मन, सृष्टि मंत्रमुग्धसी हो गयी
वृक्षों ने नव कोपलों को धारण कर
बदल लिए अपने परिधान
नए-नए रंग के फूलों की चुनरी पहन
धरती नव यौवना सी इठलाने लगी
आम्र वृक्ष पर मंजरी से लदी डालियाँ झुकने लगी
कोयल कुहकने लगी
बुलबुल मीठे स्वर में अपने गीत गाने लगी
कलियों ने मुस्कुरा कर स्वागत किया
भौरों की गुंजार, तितलियों के मोहक रंग
मन को लुभाने लगे
खेतों में गेंहू, चना, सरसों, अलसी की फसलें लहराने लगी
आकाश पतंगों की रंगिनियों से भर गया
सुनहरे सूरज को देख, ठंड रज़ाई में जा दुबक गयी
मन अलमस्त हो झूमने लगा
आया बसंत... चाहत भरे दिलों मे अरमान जगाने
- साधना
No comments:
Post a Comment