Thursday, February 28, 2013

पृथ्वी

green spread...
ये पृथ्वी जीवन का आधार हैं,
पृथ्वी जल का भी आधार हैं,
सम्पूर्ण विश्व को अपने ममता भरे आँचल में आश्रय देती,
नित नए वृक्षों फूलों से श्रृंगार कर हर पल नए रूप बदलती,
लहलहाती हरीतिमा की चादर ओढ़ मन में शांति का भाव जगाती,
कहीं केसर की क्यारी बन अपनी खुशबू बिखराती,
कहीं झरनों की कल-कल से आगे बढने का संदेश दे जाती,
कभी सरसों के पीले फूलों की चुनर ओढ़ कर नई दुल्हन सी लगती,
कभी गेहूं-ज्वार की पकी बालियों के दानों से हम सबका पोषण करती,
यही पृथ्वी कुछ लोगों को राजा बना उन्हें यश व सम्मान देती,
और किन्हीं को रंक बना मजदूर बना देती,
ये पृथ्वी नित नए रंग बदलती,हर मन में नई आशा का संचार करती,
जब भी लालिमा लिए सूरज धरती पर आता हैं,
जीवन में नया जोश भर जाता हैं,
ये पृथ्वी हमारे जीवन की साक्षी बन अंत समय में,
हमें अपने आप में विलीन कर लेती,
हे मानव! तुझसे प्रार्थना हैं कि तू दानव बन इस सुंदर धरती का,
स्वार्थसिद्धि के लिए विनाश न कर,
जो माँ बनकर तुझे अपनी गोद में आश्रय देती हैं,
तू हर पल उसका सम्मान कर.... 
- साधना


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