
प्यार में दिल के टूटने की आहट नहीं होती,
दिल शीशे की तरह चूर-चूर हो जाता है,
बिखरे टुकड़ों में अलग-अलग अक्स नज़र आते,
जोड़ने की चाहत में हाथ लहूलुहान हो जाते,
मगर जुडने की कोई राह नज़र नहीं आती,
शीशे के टुकड़ों से आईना बन जाता है,
पर टूटे टुकड़े नहीं बन पाते बेदाग आईना,
टूटे टुकड़ों में अधूरे से चेहरे नज़र आते,
एक अधूरेपन का हर पल एहसास कराते,
पर दिल फिर जुडने की चाह में धीरे-धीरे प्यार में खो जाता।
- साधना
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